इक हवा सा मिरे सीने से मिरा यार गया ज़िंदा करने मुझे आया था मगर मार गया अब तो ये जिस्म भी जाता नज़र आता है मुझे इश्क़ अब छोड़ मिरी जान कि मैं हार गया ईंट गारे का बस एक ढेर बना बैठा हूँ ज़ेर-ए-ता'मीर मुझे छोड़ के मे'मार गया घर को वापस कभी जाता नहीं देखा गया वो सब ने जिस शख़्स को देखा था कि बाज़ार गया रास्ते में कहीं नींद आ गई होगी शायद इस सफ़र में तो मिरा दीदा-ए-बेदार गया आज इक हुस्न ने भेजे थे सिपाही अपने फ़रहत-एहसास मोहब्बत में गिरफ़्तार गया