क़ासिद-ए-मस्त-गाम मौज-ए-सबा कोई रम्ज़-ए-ख़िराम मौज-ए-सबा वादी-ए-बर्फ़ का कोई सन्देस मेरे अश्कों के नाम मौज-ए-सबा कोई मौज-ए-ख़याल में बहती मंज़िलों का पयाम मौज-ए-सबा सो सिमटती मसाफ़तों का तिलिस्म तेरी करवट का नाम मौज-ए-सबा तेरे दामन की ख़ुशबुओं में हैं ग़म सौ सुहाने मक़ाम मौज-ए-सबा आती पतझड़ के साथ लौटते वक़्त इक बहारें पयाम मौज-ए-सबा इक नवेद-ए-निगाह-ए-पैक-ए-हबीब इक जवाब-ए-सलाम मौज-ए-सबा