इन परी-ज़ाद जवानों ने किया पीर मुझे कर दिया ज़ोफ़ से जूँ साया ज़मींगीर मुझे तेरी तदबीर से मैं क्यूँकि मरूँगा ऐ मर्ग की न हो हिज्र के जब ज़हर ने तासीर मुझे जिस को मंज़ूर है मरना उसे जीना है वबाल है दम-ए-पाक-ए-मसीहा दम-ए-शमशीर मुझे मुझ को पीरी में किया ताज़ा जवानों का मुरीद ख़्वार करता है ये नज़्ज़ारा-ए-बे-पीर मुझे कम नहीं जौहर-ए-फ़ौलाद जवाहिर से 'यक़ीं' है ब-अज़-सिल्क-ए-गौहर इश्क़ में ज़ंजीर मुझे