इन पे रश्क आता है ये लोग हैं क़िस्मत वाले राह में तेरी मिटे तेरी मोहब्बत वाले तेरे ही ग़म में मरे तेरी मोहब्बत वाले पाक दिल ले के गए पाक तबीअत वाले खाए लेते हैं अबस जान नसीहत वाले इश्क़ से बाज़ न आएँगे मोहब्बत वाले उस के सौदाइयों को नाम-ओ-निशाँ से मतलब बे-निशाँ लोग हैं ये इश्क़-ओ-मोहब्बत वाले मंज़िल-ए-इश्क़ में आते ही हुए ख़ाक-बसर मिट गए मिटने से पहले ही मोहब्बत वाले आ गया बार-ए-नज़र से अरक़ इन गालों पर ये हैं वो हम जिन्हें कहते हैं नज़ाकत वाले न हमें शाहों से मतलब न अमीरों से ग़रज़ हम हसीनों के हैं बंदे ये हैं दौलत वाले दार पर चढ़ के भी मंसूर की मस्ती न गई कलिमा पढ़ते हैं उसी मस्त का सब मतवाले तेरे क़ामत पे है ज़ेबा वही अतलस की क़बा अपनी सूरत न बदल चाँद सी सूरत वाले वो जिधर जाता है चिल्लाती है यूँ ख़ल्क़-ए-ख़ुदा देखता जा इधर ओ चाँद सी सूरत वाले ये मिरे उर्स की शब है कि उरूसी की है रात हैं हसीनान-ए-गुल-ए-अंदाम ज़ियारत वाले या ख़ुदा वस्ल कभी होगा नसीब उस बुत का हम से कम-बख़्त भी कहलाएँगे क़िस्मत वाले मेरे घर आया जो वो मेहर-ए-मुनीर ऐ 'अकबर' मुझ से कहता है कि अब तो हुए क़िस्मत वाले