इन से मिल कर भी भला क्या कीजिए पास बैठे और शिकवा कीजिए जाइए उन से कहीं दूर और फिर दूर रहने का इशारा कीजिए वो मनाने गर क़रीब आ जाए तो बे-रुख़ी में और इज़ाफ़ा कीजिए ज़िंदगी से क्या परेशाँ हो गए ख़ल्वतों में जा के चीख़ा कीजिए कब तलक बरताव में तल्ख़ी रहे आदतों का अब मुदावा कीजिए