इक़बाल का ज़माँ है जो है ज़माँ हमारा हिन्दोस्ताँ हमारा सारा जहाँ हमारा तकसीरियत का हामिल जम्हूरियत का हामिल अज़्मत-निशाँ सरासर हिन्दोस्ताँ हमारा ज़र की हवस नहीं कुछ शोहरत में रस नहीं कुछ सर पर रहे सलामत इक साएबाँ हमारा रक्खे हैं हम ने चुन के गरचे हैं चार तिनके हम को अज़ीज़ जाँ से ये आशियाँ हमारा महव-ए-दुआ है हर दम उर्दू ज़बाँ हमारी या-रब रहे सलामत अम्न-ओ-अमाँ हमारा हर गुल का रंग अलग है हर गुल की बू जुदा है हर दम रहे महकता ये गुल्सिताँ हमारा ज़ेहन-ओ-दिल-ओ-ज़बाँ पर सह-रंगी है तराना फ़त्ह-ओ-ज़फ़र का परचम क़ौमी निशाँ हमारा