तश्कीक के धारे नए नए औहाम की नदियाँ नई नई डूबेंगे जज़ीरे माज़ी के उभरेंगी सदियाँ नई नई कुछ रंज नहीं आकाश पे गर अब ज़ुल्म की बदली छाई है छाएँगे मसर्रत के बादल आएँगी ख़ुशियाँ नई नई ये भी सच है कि सेहन-ए-चमन में आज रवाँ है बाद-ए-सुमूम फूटेंगे शगूफ़े नए नए महकेंगी कलियाँ नई नई तस्लीम हमारी राहों में बातिल ने रुकावट डाली है निकलेंगे रस्ते नए नए निकलेंगी गलियाँ नई नई इस दौर-ए-तरक़्क़ी में है 'ज़फ़र' बादा भी नया साग़र भी नए हैं क़ैस नए गुलफ़ाम नए हैं नीलम-परियाँ नई नई