इरफ़ान की फ़ज़ा में फ़र्ज़ानगी से दामन आईना सुब्ह को हो शब की नमी से दामन जज़्बात की जिलौ में शाइस्तगी से दामन सरचश्मा ज़िंदगी का हो ज़िंदगी से दामन एहसास की ख़लिश से तन्हाई की तपिश से रिश्तों की ताज़गी हो तर-दामनी से दामन शीशा-गरों की क़िस्मत अब्र-ए-रवाँ की क़ुर्बत शोला-फ़िशाँ हो वर्ना शीशागरी से दामन ज़र की हवस से ख़ाली रूहानियत का पैकर मग़रिब की वादियों में वाबस्तगी से दामन 'ईमान' की शुआएँ जल्वा-नुमा हों जिस दम मीनार रौशनी का हो रौशनी से दामन