इस रंग बदलती दुनिया में इंसान की निय्यत ठीक नहीं निकला न करो तुम सज-धज कर ईमान की निय्यत ठीक नहीं ये दिल है बड़ा ही दीवाना छेड़ा न करो इस पागल को तुम से न शरारत कर बैठे नादान की निय्यत ठीक नहीं काँधे से हटा लो सर अपना ये प्यार मोहब्बत रहने दो कश्ती को सँभालो मौजों में तूफ़ान की निय्यत ठीक नहीं मैं कैसे ख़ुदा-हाफ़िज़ कह दूँ मुझ को तो किसी का यक़ीन नहीं छुप जाओ हमारी आँखों में भगवान की निय्यत ठीक नहीं