इस टूटे हुए दिल का सहारा है तिरा ग़म हमदर्द हक़ीक़त में हमारा है तिरा ग़म तौफ़ीक़ अता करता है रोने की हर इक पल क्या मेरी तरह दर्द का मारा है तिरा ग़म रुख़ मोड़ दिया करते हैं तूफ़ानों का वो लोग जिन लोगों की नज़रों में किनारा है तिरा ग़म बर्बाद किया गुलशन-ए-हस्ती तिरे ग़म ने ऐ दोस्त मुझे फिर भी गवारा है तिरा ग़म जिस फूल की ख़ुशबू से महक जाए गुलिस्ताँ 'ग़मगीन' को उस फूल से प्यारा है तिरा ग़म