इश्क़ से यार बग़ावत नहीं करने वाले अब तिरे क़ल्ब से हिजरत नहीं करने वाले या'नी हम तेरी जगह और किसी को दे कर दूसरी बार मोहब्बत नहीं करने वाले ज़ुल्म करना है करो तुम को इजाज़त है कि हम रब से क्या ख़ुद से शिकायत नहीं करने वाले हिज्र के ज़ख़्म पे क़ुर्बत का लगा कर मरहम अपने ज़ख़्मों की हिमायत नहीं करने वाले दिल के ज़ख़्मों को जगाती हैं रुलाती हैं सो हम आरज़ूओं की किफ़ालत नहीं करने वाले दश्त में जा के फटे कपड़े पहन कर 'ज़ोया' हम तो मजनूँ की क़यादत नहीं करने वाले