इश्क़ में कामयाब आएँगे हो के ख़ाना-ख़राब आएँगे जब भी ज़ुल्मत बढ़ेगी दुनिया में हर तरफ़ इंक़लाब आएँगे ख़ुद पे इतराना छोड़ दे वर्ना तुझ पे इक दिन इताब आएँगे आप तो जा रहे हैं मयख़ाने जा के वापस जनाब आएँगे ख़ुशबुओं के सफ़ीर हैं जो लोग ले के ताज़ा गुलाब आएँगे क्या पता था वो अपनी आँखों में भर के जाम-ए-शराब आएँगे आज फिर जश्न है चराग़ों का आज वो बे-नक़ाब आएँगे