'इश्क़-ओ-मज़हब में दो-रंगी हो गई By Ghazal << इस में 'अक्स आप का उत... 'इनायत मुझ पे फ़रमाते... >> 'इश्क़-ओ-मज़हब में दो-रंगी हो गई दीन-ओ-दिल में ख़ाना-जंगी हो गई दुख़्त-ए-रज़ शीशे से निकली बे-हिजाब सामने रिंदों के नंगी हो गई 'इल्म-ए-यूरोप का हुआ मैदाँ वसीअ' रिज़्क़ में हिन्दी के तंगी हो गई Share on: