इस में 'अक्स आप का उतारेंगे दिल को अपने यूँ हीं सँवारेंगे हम से करती है ये बहुत ग़म्ज़े हम भी दुनिया पे लात मारेंगे रिज़्क-ए-मक़्सूम ही मिलेगा उसे कोई दुनिया में दौड़े या रेंगे 'इश्क़ कहता है लुत्फ़ होंगे बड़े हिज्र कहता है जान मारेंगे दिल की अफ़्सुर्दगी न जाएगी हाँ वो चाहेंगे तो उभारेंगे दिल न दूँगा मैं आप को हरगिज़ मुफ़्त में आप जान मारेंगे पंद 'अकबर' को देंगे क्या नासेह गुल को क्या बाग़बाँ सँवारेंगे