जान ही लेने की हिकमत में तरक़्क़ी देखी मौत का रोकने वाला कोई पैदा न हुआ कोई हसरत मिरे दिल में कभी आई ही नहीं था ही ऐसा कि ये मक़्बूल-ए-तमन्ना न हुआ उस की बेटी ने उठा रक्खी है दुनिया सर पर ख़ैरियत गुज़री कि अंगूर के बेटा न हुआ दिल-फ़रेबी मिरी दुनिया ने तो बेहद चाही मेरी ही हिम्मत-ओ-ग़ैरत का तक़ाज़ा न हुआ