इतनी ख़ुशबू तो मुलाक़ात में रहने दीजे

इतनी ख़ुशबू तो मुलाक़ात में रहने दीजे
अपनी पहचान मिरी ज़ात में रहने दीजे

शहर में और नए ज़ख़्म न उगने पाएँ
शाहज़ादों को हवालात में रहने दीजे

सर चला जाए ये दस्तार न जाने पाए
इतना तेवर तो रिवायात में रहने दीजे

कल की टूटी हुई दीवार के काम आएँगी
जितनी ईंटें हैं हिसाबात में रहने दीजे

कब ये कहता हूँ कि मैं कोई वली-ज़ादा हूँ
ख़ाकसारी ही करामात में रहने दीजे

आप के शहर में सूरज तो निकलने से रहा
एक मशअ'ल ही मिरे हात में रहने दीजे

आग और फूल की पहचान नहीं जिस को 'रियाज़'
ऐसे इंसान को ख़तरात में रहने दीजे


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