जाँ कुछ देर की मेहमान है बीमार के पास अब तो आ जाइए गिरती हुई दीवार के पास दिल तो हम पहली मुलाक़ात में दे बैठे थे जान बाक़ी थी सो ले आए हैं सरकार के पास आज फिर इश्क़ तमन्नाई है क़ुर्बानी का कौन मंसूर है आए तो ज़रा दार के पास नूर-ए-रहमत तिरी क़िस्मत में कहाँ ऐ ज़ाहिद तुझ को ये नूर मिलेगा तो गुनहगार के पास इक नई रूह मचल उट्ठी मिरी रग रग में आप क्या आए कि जान आ गई बीमार के पास गो दर-ए-यार से मैं दूर सही ऐ 'नय्यर' दिल मगर रहता है हर वक़्त दर-ए-यार के पास