जान से हम गए न आया तू By Ghazal << जब न तब लड़ने ही को तय्या... हर चंद कि रोते में असर मै... >> जान से हम गए न आया तू खो दिया आप को न पाया तू ग़ैर के घर में लाख बार गया कभू तशरीफ़ याँ न लाया तू कुछ नहीं सूझता बग़ैर तिरे दिल में याँ तक तो है समाया तू तुझ को आलम में चिड़ रहा एक मैं सारी दुनिया में मुझ को भाया तू Share on: