जब आँखों में ख़्वाब सुहाने रहते हैं इक इक पल में कई ज़माने रहते हैं सारी ख़ुशियाँ उस के परों में रहती हैं जब चिड़िया की चोंच में दाने रहते हैं रंज-ओ-ग़म की धूप यहाँ आए कैसे इस बस्ती में लोग पुराने रहते हैं जब ज़िंदा-दिल सड़कों पर आ जाते हैं हर वहशत के होश ठिकाने रहते हैं सारी दुनिया प्यार की मारी है लेकिन नज़रों में कुछ एक दिवाने रहते हैं यादों के धुँदले धुँदले से मौसम में कुछ चेहरे जाने पहचाने रहते हैं मेरी ग़ज़लों मेरी नज़्मों में यारो लफ़्ज़ों के बस ताने-बाने रहते हैं हर मंज़र आँखों से गुज़रता है फिर भी लोग सियाने हैं अनजाने रहते हैं सिर्फ़ भरम उम्मीद का रखने की ख़ातिर रिश्तों के सब बोझ उठाने रहते हैं बे-घर हैं दुख दर्द 'ज़हीन' उन के अक्सर ख़ुशियों के घर आने जाने रहते हैं