जब कभी तेरा ख़याल आ जाएगा रौशनी हर सम्त फैला जाएगा एक मुद्दत हो गई तुझ को गए कब तिरे आने का धोका जाएगा दास्तान-ए-दिल मुकम्मल भी तो हो फिर कोई उन्वान सोचा जाएगा रंजिशों की धूल चेहरे पर न डाल आइने का अक्स धुँदला जाएगा कर्ब का तूफ़ाँ उमड आया अगर सोच का सूरज भी गहना जाएगा हर ज़बाँ पर दास्ताँ होगी मिरी हर गली में तेरा शोहरा जाएगा