रेवड़ों की क़तारों में गुम हो गए दिन के रस्ते तो आँखें खुली रह गईं लौट के घर न आए सधाए हुए जब परिंदे तो आँखें खुली रह गईं मैं ने बीवी को छिड़का तो ख़ुद मेरा ख़ूँ मुत्तहिद हो के मेरे मुक़ाबिल हुआ अपनी माँ की तरफ़ एक दम हो गए मेरे बच्चे तो आँखें खुली रह गईं जो तलाश-ए-सफ़-ए-दुश्मनाँ की मुहिम में मिरे साथ फिरते रहे शाम तक शब को देखे जो मैं ने वही घात में चंद चेहरे तो आँखें खुली रह गईं पर्बतों घाटियों का सफ़र दायरा था कि इक वाहिमा था ये खुलता नहीं जिस जगह हम मिले थे उसी मोड़ पर आ के बिछड़े तो आँखें खुली रह गईं दोपहर का अमल मुंजमिद साअ'तें आसमाँ पाँव में था ज़मीं सर पे थी अब के पहले से 'अनवर' ज़रा मुख़्तलिफ़ ख़्वाब देखे तो आँखें खुली रह गईं