जब निगाहों में था ख़ुदा रौशन थी फ़लक-दर-फ़लक दुआ रौशन अपना अपना सुराग़ पा लेना दूर तक है मिरी नवा रौशन है अभी तक लहू में सन्नाटा जाने कब होगी इल्तिजा रौशन छुप गया चाँद बुझ गए तारे इस क़दर रात दिल हुआ रौशन राह तकना ही जब मुक़द्दर है आओ 'साजिद' करें सदा रौशन