जब रखे पाँव उस ने पानी में आ गई मौज भी रवानी में सारे मज़मून थे बलाग़त के एक कमसिन की बे-ज़बानी में इक नया ज़ाइक़ा जनम लेगा प्यास देखो मिला के पानी में ग़म न देखा कोई बुढ़ापे का मर गए शुक्र है जवानी में आज रूठी है साँवली मुझ से कह दिया जाने क्या रवानी में