जब से बना लिया तुझे परवरदिगार यार आती है हर तरफ़ से सदा यार यार यार ये हिज्र ये फ़िराक़ हैं क़िस्से कहानियाँ जाने कहाँ गए हैं सभी दूर पार यार तू हम को छोड़-छाड़ के अर्शों पे जा बसा हम अब भी कर रहे हैं तिरा इंतिज़ार यार वो हुस्न-ए-बे-मिसाल नज़र आ गया मुझे देखा बसारतों से परे बार बार यार वो धड़कनों की ओट में करता है गुफ़्तुगू मुझ में बसा हुआ है मिरे आर-पार यार दामन को तार कर के कोई क़ैस हो गया मेरी तरफ़ भी देख बदन तार-तार यार जो अहलयान-ए-इश्क़ थे जाने किधर गए अब तो बचे हैं झूट के क़ौल-ओ-क़रार यार ऐ यार देख सूरतें वीरान हो गईं मरने पे आ गए हैं तिरे सोगवार यार यारान-ए-दर्दमंद ने ख़ुशियों की दी सदा देखा गया न उन से कोई अश्क-बार यार 'ए'जाज़' वो जुदा तो हुआ था गया नहीं मैं रोज़ मर रहा हूँ मगर क़िस्त-वार यार