जब से दिल शैदा हुआ है उस बुत-ए-बे-पीर का बादशाह मैं बन गया हूँ रंज की जागीर का देख कर तस्वीर अपनी बन गए तस्वीर वो ख़ूब झगड़ा होगा अब तस्वीर से तस्वीर का है सर-ए-बालीं मसीहा और मलक-उल-मौत भी अब तक़ाज़ा देखना तदबीर से तक़दीर का ख़ाक-ए-पा-ए-दिलरुबा लाना तबीबो ढूँड कर काम मिट्टी से लिया जाता है अब इक्सीर का किस को ढूँडूँ कौन ऐ 'असग़र' पढ़े तहरीर को कुछ पढ़ा जाता नहीं लिक्खा मेरी तक़दीर का