जब से हयात ख़ूगर-ए-आलाम हो गई दामन-कशीदगी की फ़ज़ा आम हो गई निकले थे वक़्त-ए-सुब्ह बड़ी एहतियात से दो ही क़दम चले थे कि फिर शाम हो गई आया हूँ शाहराह-ए-हक़ीक़त से लौट कर मरने की आरज़ू थी जो नाकाम हो गई देखे हैं हम ने ऐसे हक़ीक़त-पसंद लोग जिन की कि ज़ेहनियत भी सियह-फ़ाम हो गई इज़हार-ए-एहतिजाज पे ये काली पट्टियाँ तस्कीन-ए-ज़ौक़-ए-ख़िदमत-ए-इस्लाम हो गई इस अहद-ए-इंतिशार में पहचानिए किसे तश्ख़ीस-ए-शहरियत भी तो नीलाम हो गई 'हामिद' मज़ाक़-ए-दीद न होने के बावजूद चश्म-ए-पुर-इज़्तिराब लब-ए-बाम हो गई