जब से नज़र से दूर वो प्यारे चले गए वो शाम वो सहर वो नज़ारे चले गए रस्म-ए-वफ़ा न प्यार की पहली सी रीत है जाने कहाँ वो प्रीत के धारे चले गए हम खेलते ही रह गए तूफ़ान-ओ-मौज से आ आ के पास दूर किनारे चले गए मंज़िल की धुन में राही ने देखा न इक नज़र दिलकश मक़ाम करते इशारे चले गए आतिश-फ़िशाँ सा सीना भी अब सर्द हो गया शो'ले चले गए वो शरारे चले गए सूना है हुस्न और फ़ज़ाएँ उदास हैं महफ़िल से जब वो इश्क़ के मारे चले गए सौदा नहीं ये इश्क़ की बाज़ी है बे-ख़बर जीते वही जहाँ में जो हारे चले गए दैर-ओ-हरम से दूर तिरे आस्ताँ से दूर हम रहगुज़र में रात गुज़ारे चले गए महफ़िल बढ़ाओ शम्अ' को भी गुल करो कि अब वो दोस्त वो 'हबीब' वो प्यारे चले गए