जब से उन से अपना याराना हुआ अपना दिल अपनों से बेगाना हुआ दिल में जब से वो हुए मसनद-नशीं यक-ब-यक आबाद वीराना हुआ यार के दर की गदाई क्या मिली अब मिज़ाज अपना ये शाहाना हुआ जो फ़िराक़-ए-यार में आँसू बहा गिर के दामन में वो दुर्दाना हुआ आप का आशिक़ फ़क़त मैं ही नहीं इक ज़माना है जो दीवाना हुआ मेरे घर जब से कि तुम आने लगे ग़ैरत-ए-जन्नत ये काशाना हुआ शम्अ-ए-रू-ए-अहमद-ए-मुख़्तार पर ये दिल-ए-दीवाना परवाना हुआ जाम-ए-मय लेने न पाया था अभी देख कर साक़ी को मस्ताना हुआ ऐ सबा आती है तुझ से बू-ए-दोस्त यार के गेसू में क्या शाना हुआ दम-ब-दम आने लगे दिल में मिरे ग़म-कदा उन का जिलौ-ख़ाना हुआ बढ़ गया है इस क़दर जोश-ए-जुनूँ हर जगह मेरा ही अफ़्साना हुआ देख ली दुनिया की हालत ऐ 'क़मर' आज-कल अपना यही बेगाना हुआ