ज़बाँ थक गई बा-ख़ुदा कहते कहते तुझे बे-वफ़ा बा-वफ़ा कहते कहते करम गोया मुझ को है दीवानगी भी ज़माना हुआ इक सना कहते कहते अलम हैं कि शग़्ल-ए-फ़राग़त की सौग़ात सर-ए-अंजुमन चुप हुआ कहते कहते ज़बाँ पर यकायक लगा क़ुफ़्ल चुप का किसी दूसरे को ख़ुदा कहते कहते दलील-ए-मोहब्बत उसे क्या मैं देता वो कहने लगा जब सुना कहते कहते रखूँ फ़ासला उस गुल-ए-नौ से 'आदिल' कहा तू ने मुझ से ये क्या कहते कहते