जादा जादा मंज़िल हम तूफ़ाँ तूफ़ाँ साहिल हम दूर करेंगे मिल-जुल कर इंसानों की मुश्किल हम वो तो निशान-ए-मंज़िल था जिस को समझे मंज़िल हम कैसी थकन क्या नाकामी रस्ता हम हैं मंज़िल हम उस ने नज़रें यूँ डालीं कहते रह गए दिल दिल हम कैसे डूबे अपना नाव हम ही तूफ़ाँ साहिल हम 'राज़ी' क्यूँकर हम कह दें अपने फ़न में कामिल हम