जागती शब ख़ुदा-हाफ़िज़ जा चुके सब ख़ुदा-हाफ़िज़ दश्त मुझ को बुलाता है ज़िंदगी अब ख़ुदा-हाफ़िज़ रास्ता रोकते क्यूँ हो कह दिया जब ख़ुदा-हाफ़िज़ खा चुका दाना-ए-गंदुम मेहरबाँ रब ख़ुदा-हाफ़िज़ आख़िरी साँस जब निकली लिख दिया तब ख़ुदा-हाफ़िज़ अब चलो रात है 'बाबर' शाम की छब ख़ुदा-हाफ़िज़