जहाँ कोई नहीं होता है वहाँ चीख़ता है ये मिरा दोस्त मिरे साथ कहाँ चीख़ता है चुप ही रहने की तमन्ना तिरे दरवेश को है वर्ना जिस शख़्स को मिलता है ज़ियाँ चीख़ता है बाज़ औक़ात जो सिगरेट मैं कुचल देता हूँ अध-जले सोख़्ता सिगरेट का धुआँ चीख़ता है जब कभी शेर में लाने की तुझे कोशिश हो लफ़्ज़ सिस्कारियाँ भरते हैं गुमाँ चीख़ता है अपने 'सरवत' की कहानी से नहीं वाक़िफ़ तुम नाम से इस के स्टेशन भी मियाँ चीख़ता है