वो चाँद-रुत के हसीन लम्हों की शाइ'री है कि उस की बातें हज़ार सालों की शाइ'री है ये ख़ुश्क पत्ते कि जैसे राहों में लफ़्ज़ बिखरे उदास मौसम में इन दरख़्तों की शाइ'री है हमारी आँखें उदास ग़ज़लों के क़ाफ़िए हैं हमारा चेहरा पुराने वक़्तों की शाइ'री है तुम्हारा हँसना हमारी नज़्मों की इब्तिदा थी हमारा रोना तुम्हारी आँखों की शाइ'री है ये सिर्फ़ हर्फ़ों की ताब-कारी का ज़हर कब है ख़ुदा के बंदो ये हम ग़रीबों की शाइ'री है