ज़हर-ए-शब वीरान बिस्तर ऐ ख़ुदा कर्ब इक मंज़र-ब-मंज़र ऐ ख़ुदा मैं तिरे शाहीं का 'शहपर' ऐ ख़ुदा कौन है मेरे बराबर ऐ ख़ुदा काश तू भी मुझ में आ कर देखता डूबते सूरज का मंज़र ऐ ख़ुदा दोस्ती और दुश्मनी के नाम से क़ैद हूँ किस किस के अंदर ऐ ख़ुदा ज़ेर कुछ बौने मुझे कैसे करें इन हक़ीरों की मदद कर ऐ ख़ुदा बीच में मासूम सा इक आदमी हर तरफ़ साँपों के लश्कर ऐ ख़ुदा