ज़िंदगी इक हसीन ख़्वाब भी है ये मसर्रत भी है अज़ाब भी है दोनों पहलू हैं इस में पोशीदा ये हक़ीक़त भी है सराब भी है ज़िंदगी रब की इक अमानत है सर्फ़ करने का कुछ हिसाब भी है इल्म इक रौशनी है रस्ता है इल्म सब से बड़ा हिजाब भी है उम्र कितनी तवील हो लेकिन मिस्ल इक ना-तवाँ हबाब भी है शर्म आँखों में भी ज़रूरी है गरचे रुख़ पे पड़ा नक़ाब भी है