ज़िंदगी जीने का यूँ हम ने सहारा कर लिया उन का हर तीर-ए-सितम हँस कर गवारा कर लिया ज़ेहन में महफ़ूज़ हैं जल्वे अभी उस शोख़ के दिल परेशाँ जब हुआ उन का नज़ारा कर लिया दोस्तों में कोई भी मेरा नहीं था हम-ख़याल इस लिए अहबाब से मैं ने किनारा कर लिया एक पत्थर दिल से टकराए तो ये लगने लगा हम ने ख़ुद अपने जिगर को पारा-पारा कर लिया देखने वाले बहुत थे कोई समझा ही नहीं आँखों ही आँखों में उस ने खेल सारा कर लिया जो मुक़द्दर में नहीं था उस को पाने के लिए इस क़दर उलझे के ख़ुद अपना ख़सारा कर लिया हम फ़क़ीरों को नहीं कुछ तर-निवालों से ग़रज़ रूखी सूखी खा के भी अपना गुज़ारा कर लिया उस ने तक़रीरों से अपनी नफ़रतें फैलाईं थीं शाइ'री से हम ने क़ाएम भाई-चारा कर लिया ज़िंदगी भर साथ अब उस का निभाना है तुम्हें जिस ने अपने नाम 'रहबर' ग़म तुम्हारा कर लिया