ज़िंदगी पाएमाल करते हो बंदा-पर्वर कमाल करते हो ज़ुल्म है जोर है जफ़ाएँ हैं किस से कस्ब-ए-कमाल करते हो हिज्र देना मिज़ाज है उन से क्यों सवाल-ए-विसाल करते हो वस्ल दो-चार साअ'तों के लिए हिज्र में माह-ओ-साल करते हो एक ही दिल था दे दिया तुम को किस लिए अब वबाल करते हो वस्ल है एक जिस की ख़ातिर तुम जाने कितने सवाल करते हो जान लेनी है जान ले लेना इस में क्या क़ील-ओ-क़ाल करते हो दर्द देते हो रंज देते हो मेरा कितना ख़याल करते हो तुम को उन से वफ़ा की है उम्मीद 'राज' साहब कमाल करते हो