जल गया आशियाँ रहा क्या है अब तमाशा सा ऐ सबा क्या है ज़ुल्म करने को वो हुए पैदा मुझ को ग़म खाने के सिवा क्या है भूल बैठा है दिल हर इक शय को जुज़ तसव्वुर यहाँ बचा क्या है छीनना चाहती है यादों को इस में दुनिया भला तिरा क्या है दिल ने अंजान बन के पूछा है 'यासमीं' तेरा मुद्दआ' क्या है