जल्वा-फ़रमा है जो वो रश्क-ए-क़मर आज की रात मिस्ल-ए-फ़िरदौस है रौशन मिरा घर आज की रात दिल-ए-सोज़ाँ से निकलते हैं शरर आज की रात हो न जल-भुन के कबाब अपना जिगर आज की रात निगह-ए-शोख़ शब-ए-वस्ल है दिल की दुश्मन सीने में तीर क़ज़ा का है गुज़र आज की रात है मिरे नाला-ए-दिल की ये कशिश ऐ हमदम ख़्वाब में आए जो वो मुझ को नज़र आज की रात बे-बुलाए मिरे घर वो शह-ए-ख़ूबाँ आया लश्कर-ए-ग़म पे हुई मुझ को ज़फ़र आज की रात चश्म-ए-मयगूँ के तसव्वुर में हुआ हूँ बेहोश दीन-ओ-दुनिया की नहीं मुझ को ख़बर आज की रात दिल फुंका जाता है सीने में लगी है आतिश है तरक़्क़ी पे मिरा सोज़-ए-जिगर आज की रात मेहमाँ कौन यहाँ आएगा 'साबिर' कि जो है शक्ल-ए-चश्म-ए-निगराँ हल्क़ा-ए-दर आज की रात