रातें मुबारक साअ'तों वाली और दिन बरकत वाले मेरी पूँजी कब लौटाएगा नीली छत वाले हद्द-ए-निगाह तिलक फैला है अन-देखा आसेब गोशा-ए-दिल में झिलमिल झिलमिल दीप इबादत वाले चारों जानिब रची हुई है अश्कों की बू-बास इस रस्ते से गुज़रे होंगे क़ाफ़िले हिजरत वाले एक कली महकाए हुए थी पूरे बाग़ का बाग़ उस की गली के सारे लोग थे अच्छी आदत वाले कभी ये आँखें ख़ुद भी उड़ा करती थीं पतंग के साथ दूर दरीचे से होते थे इशारे हैरत वाले पिछली रात के क़हर से पहले की है बात जमाल अपनी झोली में थे चंद सितारे क़िस्मत वाले