जाने ऐसी ठान कर बैठा है क्या मेरे लिए आज माँगे जा रहा है वो दुआ मेरे लिए मुज़्तरिब दिल को मिरे आराम आ ही जाएगा कीजिए तज्वीज़ कोई तो दवा मेरे लिए मेरी क़िस्मत में तो लिक्खे हैं ग़मों के सिलसिले ख़ुश रहा कर तू न अपना दिल दुखा मेरे लिए हुस्न की ताबानियों को मैं भी तो देखूँ ज़रा तू रुख़-ए-ज़ेबा से ये पर्दा हटा मेरे लिए भूल जाता हूँ सभी कुछ याद रहता कुछ नहीं बन गया है एक ये भी मसअला मेरे लिए हिज्र आँसू मय-कशी रंज-ओ-अलम आह-ओ-फ़ुग़ाँ या-इलाही क्या यही कुछ रह गया मेरे लिए संग-दिल मशहूर था जो शहर भर में दोस्तो मुझ को हैरत है कि वो भी रो पड़ा मेरे लिए ये क़यामत के मुझे आसार लगते हैं मियाँ चलते चलते वो अचानक रुक गया मेरे लिए तंगी-ए-दामन से मैं 'एजाज़' घबराया नहीं खोल देगा और दरवाज़े ख़ुदा मेरे लिए आज साक़ी देख कर 'एजाज़' मेरी तिश्नगी जाम-ओ-साग़र ले के घर में आ गया मेरे लिए