किस की आँखों ने किए अश्क रवाँ मेरे बा'द हो गया राज़ मोहब्बत का बयाँ मेरे बा'द मेरे बाइ'स हुआ दुनिया में तआ'रुफ़ तेरा फिर तिरे हुस्न के चर्चे ये कहाँ मेरे बा'द जिन की नज़रों में खटकता था मैं काँटे की तरह उन की नज़रों में है तारीक जहाँ मेरे बा'द फिर किसी ने न सुना तज़्किरा-ए-क़त्ल-ओ-जफ़ा कट गई ख़ंजर-ए-क़ातिल की ज़बाँ मेरे बा'द मुझ को 'जर्रार' फ़ना इश्क़-ए-सितमगर ने किया अब कहाँ जाएगा ये दुश्मन-ए-जाँ मेरे बा'द