जौर कब तक सहा करे कोई सब्र कब तक किया करे कोई कहीं दुश्मन भी दोस्त होते हैं तुम न समझो तो क्या करे कोई तुम बड़े पारसा सही लेकिन बद-गुमानी को क्या करे कोई दे के दिल तुम को जान से जाते फिर तुम्हें ले के क्या करे कोई दिल अगर हो किसी का कहने में क्यों किसी की सुना करे कोई दें अदू को दुआ वो जीने की मर न जाए तो क्या करे कोई कहते हैं तुझ से दिल नहीं मिलता इस को 'महमूद' क्या करे कोई