दफ़अ'तन बिछड़ेगा वो भी दिल को ये धड़का न था जो मिरे हमराह था लेकिन मिरा साया न था सोच का तूफ़ान शादाबी बहा कर ले गया ऐसा लगता है कि ये चेहरा कभी मेरा न था मौसम-ए-गुल में हवाएँ जैसे पथराई रहीं ख़ुशबुओं का कोई झोंका इस तरफ़ आया न था यूँ अचानक जाग जाने की मुझे आदत न थी और उस को भी शिकस्त-ए-ख़्वाब का ख़दशा न था आज ता-हद्द-ए-नज़र बे-कैफ़ 'मंज़र' हो गया इस तरह रंगों को सूरज ने कभी खाया न था