वतन से दूर ऐ प्यारे परिंदे परेशाँ-हाल दुखियारे परिंदे ज़रूरत के क़फ़स में क़ैद हैं सब ख़ुशी से दर्द के मारे परिंदे तलाश-ए-रिज़्क़ में निकले घरों से सहर-दम आँख के तारे परिंदे उड़े अपने दुखों का बोझ ढोने मिसाल-ए-मन थके-हारे परिंदे हरे सहरा-ए-चश्म उन के रहेंगे बहुत रोए हैं बेचारे परिंदे फ़क़त हम ही नहीं तारिक़ यहाँ पर सफ़र में हैं बहुत सारे परिंदे