झूम के जब रिंदों ने पिला दी By हुस्न, Ghazal << तज़्किरा उन का ही जो रंग ... तू ही है मिरी ये बूद-ओ-बक... >> झूम के जब रिंदों ने पिला दी शैख़ ने चुपके चुपके दुआ दी एक कमी थी ताज-महल में मैं ने तिरी तस्वीर लगा दी आप ने झूटा वा'दा कर के आज हमारी उम्र बढ़ा दी हाए ये उन का तर्ज़-ए-मोहब्बत आँख से बस इक बूँद गिरा दी Share on: