जी बहलता है मोहब्बत में कहीं हमदम ग़लत कहने सुनने से भी होता है किसी का ग़म ग़लत ऐसी बातों की तवक़्क़ो' रखिएगा अग़्यार से झूट हम कहते हैं तुम से बात कोई हम ग़लत उस ने मेरा क़िस्सा-ए-ग़म झूट जाना किस तरह नामा-बर मज़मून-ए-ख़त में था बहुत ही कम ग़लत हैं हवाई तेरी बातें तेरा सब कहना है झूट ऐ सबा साबित हुई तेरी ख़बर हर-दम ग़लत उन के अब क़ौल-ओ-क़सम होने लगे कुछ-कुछ सहीह उन के वा'दे अब तो कुछ होने लगे कम-कम ग़लत कौन से वा'दे को उन के जानिए दिल में सहीह क़ौल देते हैं वो झूटा देते हैं वो दम ग़लत 'लुत्फ' से जो कुछ कहा अब तक हुआ वो सब सहीह सारे वा'दे आप ने झूटे किए पैहम ग़लत