कभी तो देख दर्द-ए-दिल किसी का कभी तो हाल सुन ग़ाफ़िल किसी का सबा कर दे मिरी हाजत-रवाई उठा दे पर्दा-ए-महमिल किसी का रहे नाकाम सब ऐ हज़रत-ए-इश्क़ हुआ कब मुद्दआ हासिल किसी का शकेब-ओ-सब्र फिर जाता रहा है हुआ है फिर ये दिल माइल किसी का कमर बाँधी है बेदाद-ओ-सितम पर तुझे कब पास है क़ातिल किसी का ज़माना क्या बुरा आया है या-रब किसी के हाथ में है दिल किसी का अदा-ओ-नाज़-ओ-शोख़ी से शब-ए-वस्ल बिगड़ना याद है ऐ दिल किसी का तमाशा देख लो तुम भी तो आ कर तड़पता है दिल-ए-बिस्मिल किसी का बँधा रहता है तेरा ही तसव्वुर बहलता है इसी में दिल किसी का पहुँच जाता है वो मंज़िल को ऐ 'लुत्फ' अगर उस्ताद हो कामिल किसी का