जीने का अरमान नहीं है मरना भी आसान नहीं है याद तुम्हारी मेरे दिल की मालिक है मेहमान नहीं है कौन है अपना कौन पराया दिल को अभी पहचान नहीं है उल्फ़त करना सहल है लेकिन ग़म खाना आसान नहीं है वो रूदाद नहीं है मेरी ग़म जिस का उन्वान नहीं है सूरत से तुम हाल न समझे कहने का औसान नहीं है तेरे ग़म की दौलत पा कर और कोई अरमान नहीं है जान-ओ-दिल या दीन-ओ-ईमाँ क्या तुम पर क़ुर्बान नहीं है दूर रखा क़दमों से 'शिफ़ा' को ये तो करम की शान नहीं है