जीने का इम्कान न लिखना By Ghazal << कुछ यक़ीं कुछ गुमान दे मौ... बात जो तुम को सिखाई है पु... >> जीने का इम्कान न लिखना मरना भी आसान न लिखना रोने को तुम सहल न लिक्खो हँसना भी आसान न लिखना धूप में साया लिख बरगद का अब गौतम या ज्ञान न लिखना कौन यहाँ सुनता है किसी की दीवारों के कान न लिखना 'जौहर' अपना नाम ही लिक्खो तुम अपनी पहचान न लिखना Share on: